Wednesday, March 31, 2010

तन्हाई

गर मैं एक परिंदा होता
दूर आसमान में उड़ जाता
गर मैं एक दरिया होता
खुद में सागर बन जाता

काश मैं एक पुष्प होता
स्वयं धूल में मिल जाता
गर मैं एक पन्ना होता
सदा के लिए कोरा रह जाता

Sunday, March 28, 2010

ख्वाहिश

तुम्हे पाने की एक ख्वाहिश की थी
अपने ज़ज्बातों की नुमाईश की थी
हमको एक बार तो अपने करीब समझो
कब हमने तुम्हे भुलाने की कोशिश की थी


एक बार तो आँखों में देखा होता
कुछ हमने भी आपसे से फरमाईश की थी
मेरा दिल तोड़ दिया फूल समझ के
रखते हैं लोग कुछ देर तक इसको हिफाज़त में
आपने तो इसकी आजमाईश तक न की थी

Saturday, March 27, 2010

समर्पित

मन में एक विश्वास लिए ,दिल में एक आस लिए
कर दो तुम्हे जो करना है
अंजाम से तुम क्यूँ डरते हो
अब तो बलिदान कि बेदी चढ़ना है


कपट का कोई स्थान न होगा
न्याय कि लड़ाई लड़नी है
मन को पवित्र करना होगा
आज यह घोषणा करनी है

तलवार चले ,दमदार चले
शीश को नही झुकाना है
अन्याय कि काली रातों में
चेतना का दीप जलाना है


मन में एक विश्वास लिए ,दिल में एक आस लिए
कर दो तुम्हे जो करना है

झरोखा

एक दिन की बात है ,याद वो आने लगे
झरोखे उनकी यादों के ,दिल को सुकून पहुचने लगे
अब तक पसरे थे अँधेरे तन्हाईयों के
उस आभा को देख कर ,हम भी मशालें जलाने लगे


एक अरसे से किसी का ,इंतज़ार था
अचानक किसी ने ख्वाबों में दस्तक दी
सोंचा कि वही बेमुरब्बत तन्हाई होगी
लेकिन वो तो आपके चेहरे कि तपिश

अब तो दिल करता है ,एक नया जहाँ बनाऊं
हवाओं में उनकी खुशबू
आसमान पे उनकी तस्वीर लअगाऊं
बागों से फूल
क्या ,चाँद तारे भी उनके पल्लू में सजाऊं

खोखला लिबास

दिल में गम ,होठों पे ख़ुशी ओढ़ कर
घूमते फिरते हैं ,बस यही सोंच कर
रंजो गम की कब्र पर कलियाँ गुलाबों की रहें
सूने रेगिस्तानी गाँव में ,अश्कों का चश्मा दबा रहे
जैसे बदसूरती पर हमेशा पर्दा बना रहे
जब तक हो सके ,ये तूफ़ान थमा रहे